“ चमत्कारी दर्पण “
बहुत समय पहले, हिमालय की गोद में बसे एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम सोनू था। सोनू अपनी जिज्ञासा और खोजी प्रवृत्ति के लिए पूरे गाँव में मशहूर था। एक दिन जंगल में लकड़ी काटते समय, उसने एक प्राचीन दर्पण पाया, जो धूल से ढका हुआ था।
दर्पण पर लिखे शिलालेख में लिखा था: “जो भी इस दर्पण के सामने खड़ा होगा, वह अपने भविष्य के सबसे बड़े अवसर को देखेगा।” सोनू को यकीन नहीं हुआ, लेकिन उसने सोचा कि कोशिश करने में कोई हानि नहीं है। उसने दर्पण की सफाई की और उसके सामने खड़ा हो गया।
दर्पण में उसने खुद को एक विशाल पुस्तकालय के बीच खड़ा देखा। वहाँ हर तरफ किताबें थीं, और सोनू वहाँ खुश होकर पढ़ रहा था। दर्पण के नीचे एक और पंक्ति लिखी थी:
“यह अवसर तभी तुम्हारा होगा, जब तुम प्रयास करोगे।”
सोनू को समझ आया कि उसे अपने सपने को पाने के लिए मेहनत करनी होगी। लेकिन उसने एक और बात पर ध्यान दिया—दर्पण में एक काली परछाई भी दिख रही थी, जो उसकी सफलता को रोकने की कोशिश कर रही थी।
घर लौटकर सोनू ने पढ़ाई शुरू की। लेकिन हर बार जब वह मेहनत करता, उसे आलस्य और नकारात्मक विचार सताने लगते। उसे दर्पण की काली परछाई याद आई। उसने अपने डर और आलस्य से लड़ने का निश्चय किया। धीरे-धीरे सोनू ने अपनी किताबों और ज्ञान के प्रति लगन बढ़ाई। सालों बाद, वह न केवल अपने गाँव का बल्कि पूरे क्षेत्र का सबसे बड़ा विद्वान बन गया। उसके ज्ञान और मेहनत ने उसे सभी का प्रिय बना दिया।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। एक दिन सोनू ने उस दर्पण को फिर से गुफा में रखा और उस पर एक नई पंक्ति जोड़ दी:
“यह केवल दर्पण नहीं, तुम्हारे भीतर का विश्वास है जो तुम्हें सफल बनाएगा।”
सीख:
दर्पण केवल हमारी संभावनाओं को दिखाता है, लेकिन उन्हें हकीकत में बदलने का काम हमारी मेहनत और विश्वास करता है।
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Very nice story
Thanks Amol