“एक संत और एक शहर”
एक बार एक संत अपने शिष्य के साथ घूमने निकले। शहर के पास एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए। शहर के लोग उस संत की प्रशंसा करने लगे और उन्हें महान समझने लगे।
तभी कहीं से एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला, “महाराज, मुझे यह शहर छोड़कर दूसरे शहर जाना चाहिए या यहीं रहना चाहिए?”
संत मुस्कुराते हुए बोले, “पहले बताओ, जो शहर तुम छोड़कर आए हो, वहां के लोग कैसे थे?”
व्यक्ति बोला, “वहां के लोग बहुत चालाक, स्वार्थी और झगड़ालू थे। इसलिए मैं वहां से भाग आया।”
संत बोले, “यहां के लोग भी वैसे ही मिलेंगे। तुम्हें यहां से भी निराशा ही मिलेगी।”
व्यक्ति दुखी होकर चला गया।
कुछ देर बाद एक और व्यक्ति आया और उसने भी वही सवाल किया। संत ने उससे भी वही प्रश्न पूछा: “जो शहर तुम छोड़कर आए हो, वहां के लोग कैसे थे?“
व्यक्ति बोला, “वहां के लोग बहुत प्रेमल, सहायक और मित्रवत थे। मुझे वहां से अलग होते हुए बहुत दुख हुआ।”
संत मुस्कुराते हुए बोले, “यहां के लोग भी तुम्हें वैसे ही मिलेंगे। तुम यहां खुशी-खुशी रह सकते हो।”
व्यक्ति खुशी-खुशी चला गया।
शिष्य यह सब देख रहा था। उसने संत से पूछा, “गुरुजी, आपने दोनों लोगों को अलग-अलग उत्तर क्यों दिए?”
संत हंसकर बोले, “बेटा, दुनिया वैसी ही होती है, जैसी हम उसे देखते हैं। जो व्यक्ति अपने मन में दुख, नफरत और असंतोष रखता है, उसे हर जगह वैसे ही लोग मिलते हैं। और जो व्यक्ति प्रेम और संतोष के साथ जीता है, उसे दुनिया प्यारी लगती है।”
सीख:
दुनिया को देखने का नजरिया ही आपकी जिंदगी को रोचक और आनंदमय बनाता है।
“A Sage and a City”
Once a saint went out for a walk with his disciple. Sat under a Peepal tree near the city. The people of the city started praising that saint and
considering him great.
Then from somewhere a person came to him and said, “Maharaj, should I leave this city and go to another city or stay here?”
The saint said smilingly, “First tell me,
how were the people in the city you have
left?“
The man said, “The people there were very cunning ,selfish and quarrelsome. That’s why I ran away from there.” The saint said, “The people here will also be found to be the same. You will be disappointed here too.”
The person went away sad.
After some time another person came and also asked the same question. The saint asked him the same question: “How were the people in the city you left behind?”
The person said, “The people there were
very loving, supportive and friendly.
I was very sad to leave.” The saint said smilingly,
“You will find the people here also to
be the same. You can live happily here.“
The person went away happily.
The disciple was watching all this. He asked the saint, “Guruji, why did you give different answers to both the people?
The saint laughed and said, “Son, the world is as we see it. The person who keeps sadness, hatred and dissatisfaction in his mind, finds similar people everywhere. And the person who lives with love and contentment Yes, he loves the world.”
Lesson:
The way you look at the world is what makes your life
interesting and joyful.
Very nice 👍👍👍🙂👍👍🙂👍🥰🥰🥰♥️♥️♥️